एक नन्ही प्यारी गौरैया ने,
अपने सहचर को संग लेकर।
मेरे कमरे में किया पदार्पड़,
बैठ गये वह एक तार पर ॥1॥
इधर उधर उड़-उड़ कर तब,
कमरे का कर लिया निरीक्षण।
फिर वे दोनों सुस्ताने को,
बैठ रहे कोने में कुछ क्षण ॥2॥
कमरे की छत से लटके,
पंखे की पंखुड़ियों पर।
दोनों ही फिर बड़े प्रेम से,
पास पास बैठे यों मिलकर ॥3॥
गंभीर भाव से मौन धरे,
बंद नेत्र पर फैलाकर।
दोनों ने कुछ पल इस मुद्रा में,
किये व्यतीत फिर संभाषण ॥4॥
चीं चीं चीं गौरैया स्वर गून्जा,
सुनते हो क्या प्यारे प्राण।
यह स्थान सुरक्षित सुंदर,
यहां मिलेगा हमको त्राण ॥5॥
इसी जगह पर अब हम अपना,
सुंदर नीड़ तुरंत बनाएं।
अब तक भटक लिये बहुतेरे,
कहीं ना हम सुविधा पाए ॥6॥
समय नहीं है शेष अधिक,
नवागत आने वाले हैं।
सपने जो अब तक देखे थे,
वे सच्चे होने वाले हैं ॥7॥
अस्तु आज से ही हम मिलकर,
निर्माण नया आरंभ करें।
मेहमानों के स्वागत को,
मनमोहक नीड़ तैयार करें ॥8॥