निर्माण

कार्यक्रम तैयार किया तब,

पल में दोनों ने मिलकर।

एक दूजे को देख प्यार से,

उड़े तुरंत वे पर फ़ैलाकर ॥1॥

 

कुछ पल में ही लौटे वापस,

दोनों ही कुछ तिनके लेकर।

और फ़ुर्र से बाहर उड़ गए,

तिनके एक कोने में रख कर ॥2॥

 

आना-जाना तिनके लाना,

रखना चुनकर उन्हें नीड़ पर।

कई दिनों तक उन दोनों का,

यह क्रम चलता रहा निरंतर ॥3॥

 

भूख प्यास वे भूल गए थे,

ऐसी उनको लगी लगन।

नीड़ बनाने में दोनों ही,

रहते प्रति पल बड़े मगन ॥4॥