kreedha

फिर दोनों तल्लीन हुये,

नित्य प्रति क्रीड़ा करते थे।

एक दूसरे पर अपना,

प्यार न्योंछावर करते थे ॥1॥

 

एक दूसरे के प्रति अर्पित,

एक दूसरे में लव लीन।

दो शरीर थे साथ घूमते,

प्राण-प्राण में होकर लीन ॥2॥

 

पर फैलाकर नर गौरैया,

मादा के चहुं ओर नाचता।

चीं चीं करके प्रेम गीत गा,

प्रेयसि को बहु-भान्ति रिझाता ॥3॥

 

कभी मटकता कभी छोड़ता,

कभी पास आकर उड़ जाता।

पल में लौट पास गौरैया के,

प्यार भरी कुछ बातें करता ॥4॥

 

यही क्रम था प्रतिदिन उनका,

हंसी-खुशी दिन बीत रहे।

सुखी भविष्य की अभिलाषा में,

कुछ दिन ऐसे लीन रहे ॥5॥