navagat-khushiyaa

हंसते गाते कुछ दिन बीते,

कुछ दिन हुआ प्रेमालाप।

मनुहारों में कुछ बीते दिन,

कुछ दिन मधुर-मधुर आलाप ॥1॥

 

तभी एक दिन आ पहुंचा वह,

जिनकी उन्हें प्रतीक्षा थी।

अंडे चार दिए नीड़ में,

पूर्ण हुई सद् इच्छा थी ॥2॥

 

नन्हे-नन्हे गोलमोल थे,

श्वेत-श्याम चित्तीवाले।

कितने चिकने कितने सुंदर,

अंतर्मन को छूने वाले ॥3॥

 

प्यारे-प्यारे अंडे थे वो,

मन को मोहित करने वाले।

गौरैया के दिल के टुकड़े,

आंखों को सुख देने वाले ॥4॥

 

नर-मादा दोनों प्रसन्न थे,

दोनों का ही जीवन बदला।

अंडों की सेवा की चिंता,

रखवाली का भार बड़ा ॥5॥

 

प्यार नीड़ में पलता था,

निशि-वासर ही बढ़ता जाता।

देख-देख कर गौरैया के,

उर में प्यार उमड़ता आता ॥6॥

 

घास फूस के सुघर नीड़ में,

खुशियों का सागर लहराया।

नर-मादा दोनों ने मिलकर,

हर्षोल्लास से मोद मनाया ॥7॥